IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan Vandana Churendra: रायपुर। माटी की कोख से जब भी कोई नन्हा पौधा झांकता है..समझ लीजिए..वो किसान के पसीने से नहाकर जीवंत हुआ है। किसान वो है.. जो खुद कष्ट सहकर दुनिया का पेट भरता है। मौसम से लड़कर, चुनौतियों को हराकर अपनी जिंद से वो खेतों हरा-भरा करता है। अनाज का हर दाना ऋणी होता है किसान का… और उतने ही कृतज्ञ हम सब हैं.. क्योंकि किसान न होते तो शायद हमारी विकास यात्रा ऐसी न होती। बदलते पर्यावरण और आबादी के दबाव के बीच देश का किसान सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है..लेकिन इस दौर में भी कई किसान अपनी तदबीर से तक़दीर बदलने में कामयाब रहे है।
आपको बता दें कि इस बार हम 11 ऐसे किसान… जिसमें 1 किसान समूह, 2 कृषि वैज्ञानिक और 1 ऐसे उद्यानिकी विभाग को भुइंया के भगवान सम्मान देने जा रहे हैं। जिन्होंने खेती को अपने इनोवेशन से आसान बनाने की कोशिश की। वहीं आईबीसी24 हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश के हौसलामंद किसानों को सम्मान का एक मंच दे रहा है। हमने ईश्वर को नहीं देखा.. लेकिन अगर उसकी कोई सूरत होगी.. तो यकीनन वो किसान जैसे ही होगी। हमारी नज़र में किसान इस माटी के मान है.. वो भुइंया के भगवान हैं।
महज 23 साल की उम्र में सफल उद्यमी बनने का सपना देखने वाली वंदना चुरेंद्र मछली पालन को अपना व्यवसाय बनाने का ठान लिया था। इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर से कृषि अभियांत्रिकी में M.Tech करने के बाद फिशरीज फार्मिंग में जुट गईं। मोहला के दुगाटोला निवासी वंदना चुरेंद्र ने दुर्ग जिले के कुम्हारी से साल-2019 में अपना अभियान शुरू किया। शुरुआत में कुछ समस्याएं भी हुईं, फिर भी हार नहीं मानीं और लगातार मछली पालन करते हुए आज 5 साल बीत गए।
IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan Vandana Churendra: वंदना के फिश फार्मिंग केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी संचालित हो रहे हैं। वंदना ने अपनी कंपनी का नाम ‘कोइतुर फिश फार्मर’ रखा है। आज उनके कुम्हारी, राजनांदगांव, अभनपुर, जोरा और ओडिशा के 2 जगहों पर मछली पालन किया जा रहा है। उन्होंने शुरुआत में ही 12 लाख की मछली बेची थी, और अब हर साल उनकी कंपनी का साढ़े 3 करोड़ का टर्नओवर है। स्टार्टअप इंडिया में टॉप-40 में नाम दर्ज कर चुकी वंदना को सरकार की तरफ से सर्टिफिकेट भी मिला है। आज उन्हें ‘भुइंया के भगवान’ सम्मान प्रदान करते हुए हमें बहुत ही गर्व का अनुभव हो रहा है।