Basant Panchami 2024: इस साल कब है बसंत पंचमी, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त ?

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  • Publish Date - February 6, 2024 / 01:44 PM IST,
    Updated On - February 6, 2024 / 05:37 PM IST

Basant Panchami 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल बसंत पंचमी माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस त्योहार के दौरान मुख्य रूप से विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। यह दिन सरस्वती के जन्म का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दौरान मां सरस्वती पुस्तक, वीणा और माला धारण किए हुए सफेद कमल पर बैठी हुई प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान पूजा करने से मां काली और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।

बसंत पंचमी कब है 2024 में? : When is Basant Panchami 2024?

Basant Panchami 2024: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।  हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, (When is Basant Panchami 2024) इसलिए इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। 

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त-

  1. बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त- 14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन प्रातः 07:01 से दोपहर 12:35 तक 
  2. अमृत काल मुहूर्त : प्रातः 08:30 से प्रातः 09:59 तक।
  3. गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:08 से 06:33 तक।
  4. रवि योग : सुबह 10:43 से अगले दिन प्रातः 07:00 तक।

बसंत पंचमी का महत्व

शिक्षा और संगीत से जुड़े लोगों को इस त्योहार का पूरे साल इंतजार रहता है। यह दिन पूरे देश में एक ऐसे दिन के रूप में मनाया जाता है जब शिक्षक और छात्र मां सरस्वती से उन्हें और अधिक ज्ञानी बनाने के लिए प्रार्थना करते हैं। बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह त्योहार ठंड के मौसम के अंत और वर्ष के सबसे अच्छे मौसम, वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।

पंजाब क्षेत्र में, इसे वसंत के पांचवें दिन पतंग को उड़ाकर मनाते हैं. इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है, अतः सभी पढ़ने वाले विद्यार्थी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते है।

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