Basant Panchami 2024: इस बार बसंत पंचमी पर बन रहा महासंयोग, जाने इस दिन क्या करें और क्या न करें?

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  • Publish Date - February 6, 2024 / 02:40 PM IST,
    Updated On - February 6, 2024 / 05:53 PM IST

Basant Panchami 2024: हिन्दू धर्म का प्रचलित त्यौहार बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती को समर्पित है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को कई अलग-अलग नाम दिए गए हैं, जिनमें ऋषि पंचमी भी शामिल है। पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी इस वर्ष माघ शुक्ल पक्ष 13 फरवरी को दोपहर 2:41 बजे से 12:09 बजे तक है। मां सरस्वती के सम्मान में बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी. परंपरागत रूप से, सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं और तरह-तरह के खाद्य पदार्थों को पकाया जाता है जैसे- बूंदी के लड्डू, पीले रंग के मीठे चावल, इत्यादि।

माना जाता है कि मां सरस्वती माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान ब्रह्मा के मुख से प्रकट हुई थीं, यही कारण है कि इस दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है। भारत और उत्तर-पश्चिमी बांग्लादेश और नेपाल दोनों ही इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

बसंत पंचमी के दिन रखें इन बातों का ध्‍यान

क्या करें

१. इस दिन सुबह जल्दी उठें (मान्य ब्रह्म मुहूर्त में – सूर्योदय से दो घंटे पहले)
२. स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पीले रंग या स्वेत रंग के कपड़े इस अवसर के लिए आदर्श रहेंगे।
३. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
४. ध्यान करें।
५. संकल्प करें (अनुष्ठानों को पूरे मन से करने का संकल्प लें)।६. पीले रंग का भोजन तैयार करें और देवी सरस्वती को अर्पित करें। प्राकृतिक रूप से पीला रंग पाने के लिए आप हल्दी या केसर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
७. मां सरस्वती की पूजा करें।  मां के समक्ष अक्षत, आम के फूल और पीले रंग की रोली व चंदन चढ़ाएं।
८. पूजा करते समय आप देवी के चरणों में एक किताब, एक नोटबुक, एक स्लेट, एक व्हाइटबोर्ड, पेंसिल, मार्कर, संगीत वाद्ययंत्र आदि भी रख सकते हैं।
९. पतंगें उड़ाएं और दोस्तों और परिवार के साथ मिठाइयां और व्यंजन साझा करें।

१०. वंचित बच्चों को किताबें और शिक्षण समान दान करें
११ .जरुरतमंदो को दान करें।

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क्या न करें

ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जिनमें प्याज, लहसुन या मांस हो।
शराब और तंबाकू के सेवन से बचें। काले, लाल या अन्य रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
अगर आप व्रत रख रहे हैं तो चावल, गेहूं और दाल न खाएं।
शब्दों या कार्यों से बड़ों, शिक्षकों और गुरुओं को ठेस न पहुँचाएँ।
कुछ क्षेत्रों में, बसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। दिलचस्प बात यह है कि यह रंगों के त्योहार होली से चालीस दिन पहले मनाया जाता है। मां सरस्वती को वाणी का देवी कहा जाता है। इसलिए इस दिन अपनी वाणी में थोड़ा कंट्रोल रखें। किसी से अपशब्द न बोले और न ही किसी से वाद विवाद न करें। 

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