सूरजपुर में पुलिस हेडकांस्टेबल की पत्नी और बेटी की हत्या में एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष गिरफ्तार कर लिया गया। एनएसयूआई, कांग्रेस का छात्र संगठन है। इसके बाद राजनीति और अपराध के गठजोड़ पर फिर बहस छिड़ गई है। देश की छोड़िए, सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही आंकड़ें देखेंगे तो हजारों नेताओं पर अलग-अलग धाराओं पर अपराध दर्ज है। हालांकि इसमें कई पर धरना, आंदोलन, रैली-जुलूस, चक्काजाम जैसे राजनीतिक कारणों से मामले दर्ज कराए गए हैं, लेकिन सैकड़ों ऐसे भी हैं जो गंभीर अपराधों में शामिल रहे हैं। इन पर हत्या, हत्या के प्रयास, आत्महत्या के लिए उकसाना, रेप, बलवा, ब्लैकमेलिंग, ठगी जैसे जुर्म दर्ज हैं।
आशय यह कि ये नेताओं के भेष में हार्डकोर क्रिमिनल्स हैं। हर जिले-ब्लाक-तहसील में आपको कुछ ऐसे रंगदार, आवारा लड़के मिल जाएंगे जो गैरकानूनी कामों में लगे हुए हैं साथ ही किसी ना किसी राजनीतिक दल के पदाधिकारी भी हैं। पदाधिकारी ना भी हों तो सक्रिय कार्यकर्ता जरूर हैं। इनका इतना कनेक्शन तो जरूर निकल आता है कि जब भी ये पुलिस के फेर में फंसे तो किसी ‘भैय्या’ का फोन टीआई, एसपी को आ ही जाता है। जो कहते हैं कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता को छोड़ दिया जाए। ये लड़के जब अपने छुड़ाने वाले नेताओं का रसूख देखते हैं तो खुद भी राजनीति में आगे आने लगते हैं। ऐसे तैयार होती है क्रिमिनल नेताओं की नयी पौध।
सवाल यह है कि नेताओं को आखिर क्यों इन बदमाशों, अपराधिक प्रवृत्ति वाले युवाओं की जरूरत पड़ती है। आखिर क्यों राजनीति, अपराधियों का सहारा लिए बगैर नहीं की जा सकती। इसके जो जवाब दिखाई देते हैं वो हैं वो डराने वाले हैं और इस बात की उम्मीद खत्म कर देने वाले हैं कि भविष्य में यह गठजोड़ खत्म होगा। दरअसल नेताओं को जरूरत है भीड़ की। भीड़ जो उनके स्वागत के लिए रैलियां निकालकर शहर को अस्तव्यस्त कर दे । भीड़ जो उनके लिए पोस्टर-बैनर से सड़कें पाट दें। भीड़ जो उनके लिए नारे लगा लगाकर इलाके थर्रा दे। नेता जानते हैं कि ये भीड़ कहां से आएगी। इसमें वही युवा होंगे जिनके पास कोई काम नहीं होगा, जो अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित होंगे या जिनको अपने गैरकानूनी कामों को जारी रखने के लिए संरक्षण की जरूरत होगी। नेताओं को जरूरत है ऐसे लोगों की जो उनके लिए रेत घाटों, खदानों, शराब— जुए के ठिकानों से वसूली कर सके।
नेताओं को जरूरत है ऐसे लोगों की जो उनके विरोधियों को सबक सीखा सकें। नेताओं को जरूरत है ऐसे लोगों की जो उनके चुनाव प्रचार के दौरान पैसे-शराब-उपहार बांट सकें। नेताओं को जरूरत ऐसे लोगों की जो उनको चुनाव जिताने के लिए बूथ तक लूटने को तैयार हों। अब बताइए…ऐसे लोग कहां से आएंगे। ये वही लोग होंगे जो अपने लाभ के लिए सही-गलत कुछ नहीं देखते। अपना डर बनाए रखने के लिए किसी की जान लेने से भी नहीं चूकते। ऐसे लोगों को जरूरत है नेताओं के संरक्षण की और नेताओं को जरूरत है ऐसे लोगों की। ये जरूरत, समझौता, मजबूरी एक जगह पर पहुंचकर नेता और गुंडे के बीच का फर्क मिटा देती है। इस भयावह स्थिति से निकलने की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है।
– लेखक IBC24 में मैनेजिंग एडिटर हैं।
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