MP Assembly Elections 2023: हर चुनाव की रीत..बागी बिगाड़ेंगे गणित! बीजेपी कांग्रेस के बागी तीसरी पार्टी को पहुंचाएंगे फायदा?

MP Assembly Elections 2023: हर चुनाव की रीत..बागी बिगाड़ेंगे गणित! बीजेपी कांग्रेस के बागी तीसरी पार्टी को पहुंचाएंगे फायदा?

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  • Publish Date - October 31, 2023 / 09:57 PM IST,
    Updated On - October 31, 2023 / 10:09 PM IST

भोपाल। MP Assembly Elections 2023 मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में शुरुआती बढ़त हासिल करने के लिए अब कांग्रेस और बीजेपी के पास सिर्फ 48 घंटे यानि दो दिन का वक्त बचा है। इन दो दिनों को आप T- 20 के दो ओवर मान सकते है। क्योंकि इन दो दिनों में ही दोनों ही पार्टियों को अपने बागियों मनाना है,नामांकन वापस करवाना है और पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में खड़ा करना है। कांग्रेस की तरफ से इस काम में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जुटे हैं तो बीजेपी के नाराज नेताओं को मनाने के लिए बीजेपी के सबसे बड़े ट्रबलशूटर अमित शाह को 3 दिन में पूरे प्रदेश का दौरा करना पड़ा। क्योंकि जो पार्टी अपने नाराज नेताओं को राजी कर लेगी वो ही अगले 15 दिन में जीत के करीब होगी। तो जीत कितने करीब है और बागियों की ये रीत इस बार किसका गणित बिगाड़ेगी। विस्तार से चर्चा करेंगे। गेस्ट भी हमारे साथ होंगे।

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MP Assembly Elections 2023 मध्यप्रदेश में चुनाव दहलीज पर है और मिशन 2023 की इस जंग को जीतने के लिए दोनों सियासी दल फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने सभी प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। लेकिन जब पार्टी को जीत के लिए मंथन करना चाहिए। जीत के लिए जी जान लगानी चाहिए। तब दलों की मुश्किलें। टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता या यूं कहे बागी बढ़ा रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी में कई क्षेत्रों में असंतोष के सुर सुनाई दे रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस के नाराज नेताओं की लिस्ट भी लंबी होती जा रही। सबसे पहले बात बीजेपी की। 3 दिन के एमपी दौरे में पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने ग्वालिय़र संभाग की बैठक में ये तक कह दिया कि नाराज नेताओं को मनाने एक दो बार उनके घर जाएं। उन्हें समझाने का प्रयास करें। इसके बावजूद भी न मानें तो आप सब अपने-अपने कामों में जुट जाएं। हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि सभी सीनियर-जूनियर में लगातार संवाद हो रहा है और सब अंडर कंट्रोल है।

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वहीं कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद उम्मीदवारों के बागी तेवर सड़क तक नजर आए। कहीं शीर्षासन हुआ। कहीं पुतला दहन कहीं हनुमान चालीसा का पाठ बगावती तेवरों को नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस को दो किस्तों में 7 टिकट वापस लेकर नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारना पड़ा। बगावत की इस आग को ठंडी करने के लिए कांग्रेस ने टिकट तो बदले लेकिन अब जिनके टिकट बदले वहीं पार्टी को आंख दिखाने लगे हैं। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि किसी भी बागी से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।

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सियासी दल भले ही ये कहे कि संकट जैसी कोई बात नहीं है। लेकिन हर चुनाव की यही है रीत कि बागी जरूर बिगाड़ते हैं गणित ऐसे में इस बिगड़े हुए गणित को सियासी दल कैसे ठीक करते हैं। भितरघात से कैसे बचते हैं। और बागी किस पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाते है। ये देखना दिलचस्प होगा।

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