भोपाल: Kamalnath Digvijay Singh Clash कथित तौर पर यह कहा जा रहा था कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। कपड़ा फाड़ो विवाद के बाद से ही ऐसे सवाल उठ रहे थे। इसके बाद दोनों ने खुद ही डैमेज कंट्रोल में जुट गए थे। बीते एक दो दिनों में दिग्विजय सिंह कुछ सभाएं रद्द हो गई हैं। इसके बाद मनमुटाव की खबरों को और बल मिला। कि कांग्रेस में फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
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Kamalnath Digvijay Singh Clash कल दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने एमपी कांग्रेस के नेताओं की बैठक ली है। बैठक में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के बीच चल रही अनबन को लेकर भी चर्चा हुई। आलाकमान ने ये साफ कर दिया कि बिना एक फ्रंट पर कांग्रेस नेताओं के आए कांग्रेस चुनाव नहीं जीत सकेगी। हालांकि कांग्रेस दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी को जय वीरु की जोड़ी बता रही है। उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जय वीरू की जोड़ी पर तंज कस रहे हैं।
अचानक ही दिल्ली तलब किए गए कमलनाथ और दिग्विजय ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी। अचानक ही दोनों पूर्व सीएम दिग्विजय और कमलनाथ के दिल्ली बुलावे से इन खबरों को और बल मिल गया है। अंदरखाने से जो खबरें आई उनके मुताबिक मध्यप्रदेश कांग्रेस के दो सीनियर लीडर्स से बीच तनातनी की खबरें हाईकमान तक भी पहुंची है। ऐसे में दिल्ली में होने वाली ये बैठक कहीं न कहीं इसी ओर इशारा कर रही है कि कांग्रेस हाईकमान चुनाव के ठीक पहले किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता।
रात को दिल्ली दरबार में बैठक चली मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में हुई, इसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सुरजेवाला, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह भी शामिल थे। बैठक में शामिल होने के बाद आज सुबह भोपाल लौटे तो मीडिया ने उन्हें घेर लिया। दिग्विजय सिह के साथ अदावत की खबरों के बीच सवालों पर कमलनाथ ने कहा कि नाराजगी जैसी कोई बात ही नहीं है। दौरे और सभाओं को लेकर विचार मंथन हुआ है। इसके बाद भोपाल में भी बैठकों का दौर शुरू हो गया।
लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुद्दे को हाथों हाथ लपक लिया और कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह पर अपने अंदाज में तंज कसा। उन्होंने कहा कि दोनों नेता लूट के लिए लड़ रहे हैं। पहले दिग्विजय ने लूटा, फिर कमलनाथ ने लूटा और अब आगे कैसे और कौन लूटेगा इसकी लड़ाई चल रही है। अब आपको हम पुराने दौर पर ले चलते हैं जहां नाराज कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ को घेरा तो उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह कपड़ा जाकर फाड़ो। ये 17 अक्टूबर की घटना है, जब कांग्रेस अपना घोषणा पत्र जारी करने जा रही थी।
अब सवाल ये है कि चुनावी मौसम में कांग्रेस के शीर्ष दो नेताओं दो मुख्यमंत्रियों और दो निर्णायक भूमिका वाले नेताओं जिनकी मर्जी से ही टिकट फाइनल मुहर लगी। उनके बीच ऐसी अनबन की खबरें अच्छा संकेत नहीं है। ये जनता के बीच इमेज धुमिल तो करेंगे ही, बीजेपी को मौका भी देंगे।