Chunavi Chaupal in Baikunthpur : कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है जिले का असंतुलित विभाजन, जनता बोली- अब तक सबसे निष्क्रिय हमारी विधायक

कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है जिले का असंतुलित विभाजन : Chunavi Chaupal in Baikunthpur, Baikunthpur Vidhan Sabha Analysis

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  • Publish Date - March 7, 2023 / 05:18 PM IST,
    Updated On - March 7, 2023 / 05:18 PM IST

Chunavi Chaupal in Baikunthpur साल 2023 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बेहद ही खास रहने वाला है। इस साल दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को है। दोनों राज्यों के राजनीतिक पार्टियों ने इन दोनों राज्यों में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। जनता को रिझाने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही है। स्थानीय विधायक के काम और क्षेत्र के विकास और मुद्दे भी किसी सीट के परिणाम पर खास असर डालती है। ऐसे में जनता का नब्ज टटोलने आज हम पहुंचे हैं छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में…

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Chunavi Chaupal in Baikunthpur खनिज संसाधनों के लिहाज से महत्वपूर्ण कोरिया जिले का मुख्यालय बैकुंठपुर है। यह जिला मध्य प्रदेश राज्य में 25 मई 1998 को अस्तित्व में आया। इसका मूल जिला सरगुजा था। 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ के नए राज्य के गठन के बाद, यह जिला छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत आने लगा है। जिला कोरिया का नाम यहाँ के पूर्व रियासत कोरिया से लिया गया है। 286 गांव वाले इस जिले में दो ब्लाक और 4 तहसीलें शामिल है। विधानसभा की बात करें तो जिला विभाजन से पूर्व तीन विधानसभा इसमें आते थे। लेकिन मनेन्द्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी जिला बनने के बाद अब यहां केवल इस विधानसभा बैकुंठपुर बच गया है।

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कोरिया जिले का बैकुंठपुर सामान्य सीट है। बैकुंठपुर विधानसभा सीट हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। कोरिया पैलेस का यहां की राजनीति में सीधे तौर पर दखल रहा है। ये सीट कांग्रेस के डॉ. रामचरण सिंहदेव का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर ओबीसी के राजवार और आदिवासियों की बाहुल्यता ज्यादा है। इन मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर ही है। कांग्रेस से बगावत करने के बाद 2003 में डॉ। रामचरण सिंहदेव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। 2003 में चुनाव जीतने के बाद उन्होने फिर कभी चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया। इसके बाद कोरिया पैलेस का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा।

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2018 में ऐसा था परिणाम

Chunavi Chaupal in Baikunthpur : 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। कांग्रेस से अंबिका सिंह देव, बीजेपी से भैयालाल राजवाड़े और जोगी कांग्रेस से बिहारी लाल रावाडे चुनावी मैदान में थे। कोरिया जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और जोगी कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था, जिसमें कांग्रेस के अंबिका सिंह देव ने बीजेपी के भैयालाल राजवाडे को 5339 मतों के अंतर से हराया।

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2013 में हुई थी भाजपा की जीत

2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के भैयालाल रावाडे ने यहां से बड़ी जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 45471 वोट मिले थे। जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बेदांती तिवारी को 44 हजार के करीब वोट मिले थे। दूसरी बार विधायकी जीतने के बाद उन्हें रमन सिंह ने अपनी कैबिनेट में जगह दी थी। उनके पास श्रम, खेल एवं युवा कल्याण विभाग था।

2008 विधानसभा चुनाव
भैया लाल, बीजेपी कुल वोट 36215
बेदांती तिवारी, कांग्रेस कुल वोट 30679

2003 विधानसभा चुनाव
राम चंद्र सिंह, कांग्रेस कुल वोट 51107
भैया लाल, बीजेपी, 43137

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इस बार क्या है जनता का मूड

जब हमारी टीम ने यहां के स्थानीय मतदाताओं से बात की तो विधायक को लेकर आम लोगों की नजरिया मिला-जुला नजर आया। जिला विभाजन से यहां के लोग में खासी नाराजगी है। एक स्थानीय मतदाता ने कहा कि जिला विभाजन पहले की तुलना में अब पिछड़े स्तर पर आ गया है। जब जिले का विभाजन नहीं हुआ था तो विकास की ब्यार चली थी।

विधायक के प्रदर्शन को लेकर एक मतदाता ने कहा कि विधायक महोदया तो क्षेत्र में कम रायपुर और कलकत्ता में ज्यादा रहती है। जब जनप्रतिनिध रहेगा तो तभी विकास संभव हो पाएगा। 100 बिस्तर के अस्पताल तो बना दिया गया है लेकिन डॉक्टरों की कमी है। लोग इलाज के लिए दूसरे शहरों की ओर जाने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि इतिहास में सबसे निष्क्रिय विधायक कोई है तो अंबिका सिंहदेव है। एक नागरिक ने कहा कि हमारा दुर्भाग्य ही रहा है कि हमें ऐसा जनप्रतिनिधि मिला है। जो हमने सोचा था, वैसा नहीं हो पाया है।

बिजली पानी और सड़क के हाल पर एक मतदाता ने कहा कि शहर के सड़कों का हाल-बेहाल है। यहां के सड़कों को अब चौड़ीकरण करने की आवश्यकता है। यदि एक गाड़ी जाती है तो पीछे वाले इंतजार करना पड़ता है।

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