Reported By: Abhishek Soni
,अंबिकापुर: Surguja Maharaj Rituals आधुनिकता के इस दौर में आज भी कई ऐसी रीति रिवाजें और परम्पराएं है, जिनका निर्वहन किया जा रहा है। कुछ ऐसी ही परंपरा निभाई जाती है सरगुज़ा में, जहां सरगुज़ा महराज को उनके ही महल में प्रवेश की अनुमति आदिवासी समाज के लोग देते हैं। उनके आदेश के बिना राजा भी अपने महल में प्रवेश नहीं कर पाता। इसके अलावा शस्त्र पूजा, गज अश्व पूजा, नगाड़ा पूजा और निशान पूजा की परम्पराएं निभाई जाती हैं।
Surguja Maharaj Rituals दरअसल सरगुजा जिले में राज परिवार के द्वारा अष्टमी और नवमी के संधि के समय में संधि पूजा की जाती है, जिसमें सरगुजा राज परिवार के सदस्य अपनी कुलदेवी महामाया और समलाया मंदिर में संधि पूजा कर प्रजा और देश के मंगल कामना करते हैं। इसके बाद शस्त्र पूजा कर राजा अपने प्रजा की रक्षा का प्रण करता है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए वर्तमान सरगुजा महाराज टीएस सिंह देव ने नवरात्रि के अवसर पर शस्त्र पूजा की। शस्त्र पूजा के साथ पुराने पहले में नगाड़ा पूजा अश्व पूजा और निशान पूजा का भी आयोजन किया गया, जिसमें अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों ने अपने-अपने विधि विधान से पूजा अर्चना कर राजा के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर की।
ऐसा माना जाता है कि वर्षों से चली आ रही इस पूजा के जरिए राजा के प्रति लोग अपनी भावना अपना साथ और अपना आभार प्रकट करते हैं। इस विशेष पूजा में खास बात यह होती है कि सिंह द्वार पूजा के समय में आदिवासी संस्कृति के जरिए यहां पूजा अर्चना की जाती है और जब तक पूजा संपन्न नहीं होती और आदिवासी समाज के लोग राजा को महल में प्रवेश की इजाजत नहीं देते। इसी परंपरा का निर्वहन आज भी चल रहा है और सरगुजा महाराज टीएस सिंह देव ने आज पुरखों की इस परंपरा का निर्वहन किया।