#KKHD: खैरागढ़ में किसका खेल.. कांग्रेस फिर मारेगी बाजी या खिलेगा कमल.. देखें किसमें कितना है दम?

खैरागढ़ क्षेत्र में रोजगार, सड़क, बिजली की समस्या मुख्य चुनावी मुद्दा है। जिला बनने के बाद यहां के लोगों की कई मांगें लंबित है। यहां सड़क और गंदे नाली की समस्या प्रमुख मुद्दा है।

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  • Publish Date - November 2, 2023 / 11:00 PM IST,
    Updated On - November 2, 2023 / 11:10 PM IST

खैरागढ़: छत्तीसगढ़ के दुर्ग संभाग में कुल 20 विधानसभा सीटें है। इसमें से एक नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई भी है। खैरागढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस ने विधायक यशोदा वर्मा और बीजेपी ने अपना प्रत्याशी विक्रांत सिंह को घोषित किया है। विक्रांत सिंह रमन सिंह के भांजे हैं। काफी समय से खैरागढ़ वासी इसे जिला बनाने की मांग कर रहे थे। 2022 में हुए उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेस ने जीत प्रमाण पत्र मिलने के तीन घंटे के अंदर ही इसे जिला घोषित कर दिया। सीएम की घोषणा के बाद खैरागढ़ छुईखदान गंडई नया जिला बना। ये जिला राजनांदगांव से अलग हुआ है।

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खैरागढ़ क्षेत्र में रोजगार, सड़क, बिजली की समस्या मुख्य चुनावी मुद्दा है। जिला बनने के बाद यहां के लोगों की कई मांगें लंबित है। यहां सड़क और गंदे नाली की समस्या प्रमुख मुद्दा है। यहां का वनांचल क्षेत्र साल्हेवारा, गंडई भी विकास की बाट जोह रहा है। इस सीट पर युवाओं का रोजगार भी बड़ा मुद्दा है। इस इलाके का कई क्षेत्र जिला बनने के बाद भी विकसित नहीं हुआ है। रोजगार न होने से युवा परेशान हैं। इस बार क्षेत्र के लोग बड़े उद्योग और रोजगार की मांग को लेकर वोट करेंगे। खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी लोधी समाज की है। खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा वनांचल में आता है. इस सीट पर लोधी समाज निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में साहू और ओबीसी समाज के वोटर भी हैं. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला खैरागढ़ विधानसभा सीट पर लंबे समय तक राज परिवार का शासन रहा, लेकिन लगभग 47 साल बाद 2007 में भाजपा ने इस लगातार जीत पर विराम लगा दिया। विधायक कोमल जंघेल ने 2007 के उपचुनाव में खैरागढ़ सीट से जीत दर्ज कर कमल खिलाया था। देखें यह पूरी रिपोर्ट..