रायपुर: छत्तीसगढ़ विधसानभा के लिए पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक़ प्रदेश के जिन 20 सीटों पर मतदान हुआ है वहां वोटिंग का औसत 70.87 प्रतिशत रहा हालाँकि अभी भी कई जगहों पर मतदान जारी है और आंकड़ों में बदलाव संभव है। इलेक्शन कमीशन कल दोपहर आखिरी आंकड़ों को लेकर प्रेसवार्ता करेगी जिसके बाद ही कुल मतदान की असल स्थिति साफ़ हो पाएगी।
बात करें कवर्धा विधानसभा सीट की तो इस बार इस सीट पर पिछली बार यानी 2018 के मुकाबले मतदान में बड़ा इजाफा हुआ है। 2018 में जहाँ 57 प्रतिशत वोट पड़े थे तो वही इस बार यहाँ 72.89% प्रतिशत मतदान हुआ है। वही अभी शुरुआती आंकड़े सामने नहीं आएं। अंतिम आंकड़ों के बाद इस प्रतिशत में बढ़ोत्तरी की संभावना है। इस तरह देखा जाएँ तो 16 प्रतिशत अधिक मतदान इस बार कवर्धा में दर्ज किया गया है। यहाँ से कांग्रेस के वन मंत्री और कद्दावर नेता मोहम्मद अकबर मैदान में है जबकि भाजपा से विजय शर्मा ताल ठोंक रहे है।
बता दे कि इस बार और कांग्रेस समेत अलग-अलग दल और निर्दलीय मिलकर कुल 16 प्रत्याशी मैदान में है। हालांकि यहाँ 44 दावेदारों ने अपना नामंकन दाखिल किया था। इनमे से 30 आवेदनों को स्वीकार किया गया था। इसके पश्चात स्क्रूटनी में 9 नामांकन खारिज हो गए जबकि 5 ने अपना नाम वापिस ले लिया था।
कवर्धा विधानसभा क्षेत्र जातीय विविधताओं वाला विधानसभा माना जाता रहा है। यहाँ मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 2.91 लाख है। इनमे आदिवासी समाज के लगभग 50 हजार मतदाता, साहू समाज (पिछड़ा वर्ग) के लगभग 42 हजार, कुर्मी समाज (पिछड़ा वर्ग) के लगभग 38 हजार, पटेल समाज (पिछड़ा वर्ग) के लगभग 17 हजार जबकि अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग 32 हजार मतदाता विधायक का फैसला करते है। यही वजह है कि भाजपा यहाँ से अक्सर पिछड़ा वर्ग से ही अपने उम्मीदवार का चयन करती रही है। वही बात अगर कांग्रेस की करें तो यहाँ से मोहम्मद अकबर लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में है।
2018 के चुनाव में कांग्रेस ने यहाँ से बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के अशोक साहू को करीब 59 हजार वोटों के बड़े अन्तर से पराजित किया था। बात 2013 के चुनाव की करें तो इस बार कांग्रेस को हार का समाना करना पड़ा था। तब अशोक साहू ने करीब दो हजार मतों के अंतर से मोहम्मद अकबर को मात दी थी। 2008 के चुनाव में भी नतीजे भाजपा के पक्ष में गए थे। तब बीजेपी उम्मीदवार सियाराम साहू ने कांग्रेस के योगेश्वरराज सिंह को तकरीबन 10 हजार मतों के अंतर से पछाड़ा था।