दुर्ग: BJP Candidate Lalit Chandrakar पिछले पांच साल से सूखा काट रही भाजपा इस बार जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं की मानें तो इस बार उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जो चुनाव जीतने की ताकत रखते हैं। लेकिन दुर्ग विधानसभा सीट में ऐसा लग रहा है कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जैसे नेता भी धोखा खा गए। उन्होंने ऐसे नेता पर मुहर लगा दी है, जो प्रचार के दौरान ही जनता से उलझते नजर आ रहे हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि जनता से उलझकर प्रदेश में गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे ताम्रध्वज साहू को कितना टक्कर दे पाएंगे?
BJP Candidate Lalit Chandrakar कहा जाता है कि ललित चंद्राकर की दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में गहरी पैठ है, उन्हें क्षेत्र का बच्चा—बच्चा जानता है। लेकिन दावे उस वक्त फेल हो गए जब उन्हें क्षेत्र की जनता ने प्रचार करने भी नहीं दिया। जी हां ये मामला दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट के भोथली गांव का बताया जा रहा है, जहां भाजपा उम्मीदवार ललित चंद्राकर ने प्रचार के दौरान ऐसी बात कह दी कि गांव की जनता भड़क उठी और उन्हें उल्टे पांव ही लौटना पड़ा। इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बात वायरल वीडियो की करें तो जब वायरल वीडियो के चलते जुदेव जैसे नेता सीएम बनते—बनते रह गए तो ललित चंद्राकर तो पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। पहली बार में ही उनका सामना ताम्रध्वज साहू जैसे कद्दावर नेता से हो रहा है, जिनके सामने लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय जैसी दिग्गज नेत्री को हार का सामना करना पड़ा था। अब देखना होगा कि जनता से उलझकर ललित चंद्राकर सियासत के रास्ते में कितनी लंबी दूरी तय कर पाते हैं।
वर्तमान में ललित चंद्राकर जिला महामंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन वो पिछले तीन चुनाव से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि भाजपा ने इस बार उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन तीन बार से भाजपा उन्हें नजरअंदाज करते आई है। पिछले चुनाव में भाजपा ने ताम्रध्वज साहू के खिलाफ जागेश्वर साहू को चुनावी मैदान में उतारा था, जबकि क्षेत्र में तेली से ज्यादा कुर्मि वोटर्स हैं। जातिगत समीकरण को देखते हुए भाजपा ने इस बार कुर्मि जाति से आने वाले ललित चंद्राकर पर दांव खेला है, लेकिन जनता से अकड़ इस बार भी भाजपा की नैय्या न डूबा दे।
ऐसा नहीं ललित चंद्राकर जनता से ही उलझ रहे हैं वो तो निर्वाचन आयोग के नियमों की भी अनदेखी करने में लगे हुए हैं। जी हां हाल ही में भाजपा उम्मीदवार ललित को निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बताया गया कि ललित ने निजी घर में बिना सहमति के चुनाव प्रचार का लेखन कराया, जिसके बाद मौके पर पर एफ.एस.टी. दल एवं ग्राम पंचायत के सचिव व रोजगार सहायक ग्राम पंचायत पीसेगांव द्वारा आदर्श आचरण संहिता का पालन करते हुए मिटाया गया है। इस पर रिटर्निंग ऑफिसर ने नोटिस जारी कर प्रत्याशी से जवाब मांगा।
ललित चंद्राकर के चुनाव संचालक के तौर पर पार्टी ने प्रीतापाल बेलचंदन को जिम्मदारी सौंपी है, जो पूर्व में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं और पूर्व में इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन हाल ही में वो करीब दो माह की जेल यात्रा कर वापस लौटे हैं। प्रीतापाल बेलचंदन पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष के तौर पर रहते हुए करोड़ों रुपए गबन करने का आरोप है। प्रीतपाल बेलचंदन पर घोटाले का आरोप लगने के बाद क्षेत्र की जनता ही उसे कटघरे में खड़ा कर रही है। ऐसे में अब ये कहना कितना सही होगा कि ललिज चंद्राकर की नैय्या प्रीतपाल बेलचंदन पार लगा पाएंगे?