रायपुर: Congress Candidate Vijay Kesharwani विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की दिल की धड़कने बढ़ गई है, क्योंकि 17 नवंबर को अब सिर्फ तीन दिन बाकी है। 17 नवंबर को 70 विधानसभा सीट की जनता अपना उम्मीदवार तय करेगी। वोटिंग से पहले उम्मीदवार वोटों के जोड़ तोड़ में लगे हुए हैं, ताकि बहुमत से जीत दर्ज कर सकें। लेकिन प्रदेश की बेलतरा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की हालत पतली नजर आ रही है। बता दें कि यहां से कांग्रेस ने बिलासपुर जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी को चुनावी मैदान में उतारा है, जो खुद की वजह से जनता के बीच पैठ नहीं बना पा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि विजय केशरवानी जनता के बीच पैठ क्यों नहीं बना पा रहे हैं।
Congress Candidate Vijay Kesharwani वैसे तो बेलतरा पिछले कई चुनाव से भाजपा का गढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद की बात करें तो यहां अभी तक कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया है। भाजपा के इस अभेद्य किले में कांग्रेस ने इस बार विजय केशरवानी को चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन विजय केशरवानी को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद अब ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस ने यहां बिना सर्वे किए ही अपने प्रत्याशी तय कर दिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले दिन से ही विजय केशरवानी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ही नहीं जनता भी उन्हें पैराशूट प्रत्याशी बता रही है। जब जनता ही आपके खिलाफ हो तो चुनाव जीतना तो दूर महोदय प्रचार करना भी आपके लिए मुश्किल साबित होगा।
विजय केशरवानी को हाल ही में निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि विजय केशरवानी को लेकर किसी समाचार पत्र में खबर प्रकाशित की गई थी, जिसे लेकर निर्वाचन आयोग ने आपत्ति जताई है। निर्वाचन आयोग ने इसे पेड न्यूज माना गया है। न्यूज को विज्ञापन की श्रेणी में प्रत्याशी के निर्वाचन खर्चाें में शामिल किया गया है। इसके अलावा पेड न्यूज पर कड़ी कार्रवाई करते हुए जिले में अन्य प्रत्याशियों को भी नोटिस जारी किया गया है।
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वहीं, विजय केशरवानी की ओर से निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथ पत्र पर नजर डालें तो उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इन मामलों में एक आईपीसी की धारा 294 के तहत केस दर्ज किया गया है। हमने जब ये जानने की कोशिश की कि धारा 294 के तहत किस प्रकार के अपराध आते हैं तो कानून के संबंध में जानकारी देने वाली एक वेबसाइट से ये बात सामने आई कि भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अनुसार
1. जो भी कोई दूसरों को चिढ़ाने के इरादे से
2. किसी भी सार्वजनिक जगह पर कोई भी अश्लील कार्य करता है, या
3. किसी भी सार्वजनिक स्थान या उसके आस पास कोई अश्लील गाना, कथागीत या शब्द गाता है या बोलता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
विजय केशरवानी आज भले ही कांग्रेस के तरफ से बेलतरा के लिए सबसे बड़े और मजबूत दावेदार बनकर उभरे हो लेकिन संगठनकर्ता के तौर पर उनका कार्यकाल काफी नीरस रहा है। उनके जिलाध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस के भीतर जमकर गुटबाजी हावी रही। बिलासपुर जो हमेशा से ही कांग्रेस के लिए संगठनात्मक तौर पर मजबूत माना जाता रहा है वहां भी पार्टी के बड़े नेताओं के बीच खुलेआम मतभेद सामने आते रहे। पिछले चुनाव के बाद कई ऐसे मौके आये जब बड़े नेताओं की अगुवानी के दौरान संगठन के नेता ही आपसे में भिड़ते रहे। बात अगर नेताओं की अनुशासन की करे तो भी विजय केशरवानी का लगाम नजर नहीं आया। कई मौकों पर पुलिस और कांग्रेस नेताओं के बीच भी बहस की ख़बरें सामने आई। जाहिर है इस तरह की स्थितियों के लिए जिला प्रमुख का अपने नेताओं पर पकड़ नहीं होने को ही वजह माना जाता रहा।
भाजपा समेत दूसरी राजनीतिक दल आरोप लगाते रहे है कि विजय केशरवानी बिलासपुर के रहने वाले है ऐसे में उन्हें बेलतरा जैसे ग्रामीण बेल्ट से उम्मीदवार नहीं बनाया जाना था। आरोप यह भी लगते रहे है कि विजय केशवरवानी को बेलतरा क्षेत्र की समस्यायों की समझ नहीं है। यही वजह है कि मौजूदा प्रचार प्रसार में भी जनता के भीतर कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर किसी तरह का उत्साह नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों की मानें तो क्षेत्र के मतदाताओं के बीच स्थानीय उम्मीदवार को लेकर काफी गंभीरता देखी गई है। बेलतरा से इस बार सभी को उम्मीद थी की कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए किसी स्थानीय दावेदार को बनाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका बल्कि विजय केशरवानी जैसे कमजोर उम्मीदवार को बेलतरा की कमान सौंप कर दुसरे दलों के लिए रास्ता और भी आसान कर दिया गया।
विजय केशरवानी टिकट पक्का होने के बाद से लगातार क्षेत्र जनसम्पर्क कर मतदाताओं के बीच पहुँचने की कोशिश में जुटे हुए लेकिन उन्हें कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही है। जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक़ बेलतरा क्षेत्र में विजय केशरवानी के प्रति मतदाताओं में ना ही उत्साह है और ना ही रुझान। इन सबके बीच उनके सभाओं में भीड़ नहीं उमड़ना भी क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में अब देखना होगा कि बेलतरा जैसी मुश्किल सीट पर कांग्रेस कैसे अपनी चुनावी नैया पर करा पाने में कामयाबी हासिल करती है या फिर हमेशा की तरह कांग्रेस अपना पुराना प्रदर्शन ही दोहराती है?
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